प्राण मस्तिष्क में रहता है एवं संवेदक तथा प्रेरक पेशी को कायम रखता है।
2.
इससे प्रेरक पेशी कौशलों (जैसे कि बैठना एवं चलना) में वृद्धि होती है, मांसपेशी की ताकत बेहतर होती है और कांट्रैक्चर्स (जोड़ की गतिविधि को सीमित करने वाली मांसपेशियों का छोटा होना) को रोकने में सहायता मिलती है।
3.
विशिष्ट तंत्रिका संबंधी क्षतियाँ संज्ञानात्मक व्यवहार संबंधी और प्रेरक पेशी की असामान्यताओं द्वारा अभिव्यक्त होती हैं जो एचआईवी संक्रमण के सालों बाद होती हैं और निम्न सीडी४ + टी कोशिका स्तरों और उच्च प्लाविका प्लाज़्मा विषाणुज भारों से सम्बन्धित है।
4.
इससे प्रेरक पेशी कौशलों (जैसे कि बैठना एवं चलना) में वृद्धि होती है, मांसपेशी की ताकत बेहतर होती है और कांट्रैक्चर्स (जोड़ की गतिविधि को सीमित करने वाली मांसपेशियों का छोटा होना) को रोकने में सहायता मिलती है।